Wednesday, January 10, 2024

kanak dhara stotram (dhan varsha stotram)

 अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् | 
अङ्गीकृताखिल विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ||

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि | 
मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागर सम्भवा याः ||

आमीलिताक्षमधिग्यम मुदा मुकुन्दम् आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्ग तन्त्रं | 
आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवन्मम भुजङ्ग शयाङ्गना याः ||

बाह्नन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति |
 कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याणमावहतु मे कमलालया याः ||

कालाम्बुदालि ललितोरसि कैटभारेः धाराधरे स्फुरति या तटिदङ्गनेव | 
मातुस्समस्तजगतां महनीयमूर्तिः भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दना याः || 
 
प्राप्तं पदं प्रथमतः खलु यत्प्रभावात् माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन |
 मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्थं मन्दालसं च मकरालय कन्यका याः ||

विश्वामरेन्द्र पद विभ्रम दानदक्षम् आनन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि | 
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्थं इन्दीवरोदर सहोदरमिन्दिरा याः ||

इष्टा विशिष्टमतयोपि यया दयार्द्र दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते | 
दृष्टिः प्रहृष्ट कमलोदर दीप्तिरिष्टां पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टरा याः ||

दद्याद्द्यानु पवनो द्रविणाम्बुधारां अस्मिन्नकिञ्चन विहङ्ग शिशौ विषण्णे | 
दुष्कर्मघर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः ||

गीर्देवतेति गरुडध्वज सुन्दरीति शाकम्बरीति शशिशेखर वल्लभेति | 
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रिभुवनैक गुरोस्तरुण्यै ||

श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्म फलप्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणार्णवायै | 
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायै पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम वल्लभायै ||

नमोऽस्तु नालीक निभाननायै नमोऽस्तु दुग्धोदधि जन्मभूम्यै | 
नमोऽस्तु सोमामृत सोदरायै नमोऽस्तु नारायण वल्लभायै ||

नमोऽस्तु हेमाम्बुज पीठिकायै नमोऽस्तु भूमण्डल नायिकायै | 
नमोऽस्तु देवादि दयापरायै नमोऽस्तु शाङ्गायुध वल्लभायै ||

नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायै नमोऽस्तु विष्णोरुरसि स्थितायै | 
नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायै नमोऽस्तु दामोदर वल्लभायै ||

नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायै नमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै | 
नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायै नमोऽस्तु नन्दात्मज वल्लभायै ||

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय नन्दनानि साम्राज्य दानविभवानि सरोरुहाक्षि | 
त्वद्वन्दनानि दुरिता हरणोद्यतानि मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये ||

यत्कटाक्ष समुपासना विधिः सेवकस्य सकलार्थ सम्पदः |  
सन्तनोति वचनाङ्ग मानसैः त्वां मरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतमांशुक गन्धमाल्यशोभे |
 भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीदमह्यं ||

दिग्धस्तिभिः कनक कुम्भमुखावसृष्ट स्वर्वाहिनी विमलचारुजलाप्लुताङ्गीम् | 
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकधिनाथ गृहिणीममृताब्धिपुत्रीं ||

कमले कमलाक्ष वल्लभे त्वं करुणापूर तरङ्गितैरपाङ्गैः |
 अवलोकय मामकिञ्चनानां प्रथमं पात्रमकृतिमं दयायाः ||

देवि प्रसीद जगदीश्वरि लोकमातः कल्याणगात्रि कमलेक्षण जीवनाथे | 
दारिद्र्यभीतिहृदयं शरणागतं मां आलोकय प्रतिदिनं सदयैरपाङ्गः ||

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमीभिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमां | 
गुणाधिका गुरुतुर भाग्य भागिनः भवन्ति ते भुवि बुध भाविताशयाः ||
आदि शंकराचार्य .....🙏
 

shri suktam lyrics (very powerfull and effective mantra for money)


 ॐ हिरण्यवर्णाम हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। 

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।

 यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्। 

श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवी जुषताम् ॥ ३ ॥

कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारां आद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।

 पद्मस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वयेश्रियम्॥४॥

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियंलोके देव जुष्टामुदाराम्। 

तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥५॥

आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तववृक्षोथ बिल्वः । 

तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्चमणिना सह। 

प्रादुर्भुतो सुराष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृध्दिं ददातु मे ॥७॥

क्षुत्पपासामलां जेष्ठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। 

अभूतिमसमृध्दिं च सर्वानिर्णद मे गृहात ॥८॥

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।

ईश्वरिं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्॥९॥

मनसः काममाकृतिं वाचः सत्यमशीमहि। 
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रेयतां यशः ॥१०॥

कर्दमेनप्रजाभूता मयिसंभवकर्दम । 
श्रियं वासयमेकुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥११॥

आप स्रजन्तु सिग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
 नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥१२॥

आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टि पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। 
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१३॥

आर्द्रा यः करिणीं यष्टीं सुवर्णां हेममालिनीम्। 
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह ॥१४॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
 यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ॥१५॥

यः शुचिः प्रयतोभूत्वा जुहुयाादाज्यमन्वहम्। 
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत् ॥ १६॥

पद्मानने पद्मउरू पद्माक्षि पद्मसंभवे।
 तन्मे भजसि पद्मक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥ १७॥

अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने। 
धनं मे लभतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ॥१८॥

पद्मानने पद्मविपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। 
विश्वप्रिये विष्णुमनोनुकूले त्वत्पादपद्म मयि संनिधस्त्वं ॥१९॥

पुत्रपौत्रं धनंधान्यं हस्ताश्वादिगवेरथम्। 
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे ॥२०॥

धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्योधनं वसु। 
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरूणं धनमस्तु मे ॥२१॥

वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृतहा। 
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ॥२२॥

न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभामतिः ।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत् ॥ २३॥

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांसुकगन्धमाल्यशोभे । 
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीदमह्यम्॥२४॥

विष्णुपत्नीं क्षमां देवी माधवी माधवप्रियाम्। 
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥२५॥

महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि।
 तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥२६॥

श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते।
धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ॥२७॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

॥ इति श्रीसूक्तं समाप्तम ॥


Wednesday, November 16, 2022

Bhumi magalam lyrics

                                             


                         

                                             Bhumi mangalam

                              Udak mangalam

                        Agni mangalam

              Vayu mangalam

                      Gagan mangalam

                                   Surya mangalam

              Chandra mangalam

               Jagat mangalam 

                     Jiva mangalam

                          Deha mangalam

                                          Mano mangalam 

                   Aatma mangalam

                                     Sarva mangalam

                                                 Bhavatu, bhavatu, bhavatu.........

Thursday, September 16, 2021

Janani mai ramdut hanumaan lyrics

 


Janani mai Ramdut Hanumaan

Charan kamal me sat sat vandan,kar do maa kalyaan 

mila hai awsar aaj mahaan.....

Janani mai ramdut hanumaan

Janani mai ramdut hanumaan

Chamke koti surya sam raghuvar

Shit chandra si vaani  madhukar...2

karke Ravan haran tumhara 

kiya mritiu ahwaan....

Janani mai Ramdut Hanumaan

Janani mai Ramdut Hanumaan

Satya Vachan kahta maa Sita 

Har pal prabhu ko tumhaari chinta

Ashru nayan se jharat  nirntar

Vyakul hai Shree Ram

Janani mai Ramdut Hanumaan

Janani mai Ramdut Hanumaan.....

Sun lo maiya baat hamaari

Sudh lenge prbhu Ram tumhaari

Le kar apni vaanar sena...

Aayenge Shree Ram

Janani mai Ramdut Hanumaan

Janani mai Ramdut Hanumaan....🙏  



Sunday, February 28, 2021

krishna smaran lyrics ,shree krishna Govind

श्री कृष्ण गोविद़ं
   
हरे मुरारी 
               हे नाथ नारायण वासुदेवा
            
     जिव्हे पिबस्वामृत मेव
                   
            गोविदं दामोदर माधवेति
         
         गोविं दामोदर माधवेति........

Friday, March 27, 2020

shuklaam vardhram vishnu lyrics


 शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशीवर्ण चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्वविघ्नों पशान्तयें ।।

शान्ताकारं भुजगशयनम पद्मनाभं सुरेशम ।
विश्वाधारं गगनसदृरूशं,
मेघ वर्णम शुभाड़्ग्म् ।।
लक्ष्मीकान्तम कमल नयनं,
योगी भिध्यार्नगम्य ।।
वंन्दे विष्णु भव भय हरंम,
सर्वलौकेकनाथम ।

औषधे चिंतये विष्णुम,
भोजनम् च जनार्धनम् ।।
शयने पद्मनाभमं च,
विवाहे च प्रजापतिमं ।
युद्ध चक्र धर्म देवम्
प्रवासे च त्रिविक्रमं।।
नारायणं तनु् त्यागे,
श्रीधरं प्रिय संगमे ।
दू:स्वप्ने स्मर गोविंन्दम,
संकटे मधुसूदनम।।
कानने नरसिंम्हम च,
पावके जलशायीनम ।।
जलमध्ये वराहम् च,
पर्वते रघुनंदनम।
गमने वामनम चैव,
सर्वकार्येषु माधवम्।।

शोड़ शैतानी नामानी,
प्रातरूत्तयाय यह पठेत ।
सर्वापाप विर्निमुक्तो,
विष्णु लोके महीयती ।।

             



Shuklaam var dharam Vishnu
Sashi varanam chatur bhujam
Prasna vadhnam dhyaye.
Sarva vighno pashantye...

Shanta karam bhujag shaynam,
Padma nabham suresham....
Vishwa dharam gagan sadrisam,
Megha varnam shubhangam....
Lakshmi kantam kamal nayanam,
yogi bhir dhyaan gamyam... 
vande vishnum bhav bhay haram,
sarva lokek natham .....2

Aushadhe chintye vishnu,
bhojne cha janardanam .....
Shayne padm nabham cha.
Vivahe cha prjapatim....
Yudhe chakra dhram devam,
Pravase cha trivikramam...
Narayanm tanur tyaage,
Shree dharam priya sangame...
Duswapne smara govindam,
Sankate madhu sudnam....


kanane narshingham cha,
Pavke jalshainam....
Jal madhe varaham cha,
Parvathe raghunandnam....
Gamne vamanam chaiva,
Sarve kareyeshu madhavam.....
Shod shaitaani namani ,
praatahrudhyay yah pateth....
sarva paap vinir mukto ,
vishnu loke mahiyate.......2






























Wednesday, December 11, 2019

Om Purnmadah Purnmidhah meaning in hindi



Om purnmadah purnmidhah ,
purnat purnmudchyate .
purnsya purna madaay, 
purnmeva vashishyate. 
om shanti, shanti,shanti...

Arthat; yaha bhi purna hai, vaha bhi purna hai
tum bhi purna ho,mai bhi purna hu.
is sampurna sristi ko banane wala bhi purna hai .
sari sristi purna hai,
vo param pita parmeshwer bhi purna hai.
unhi ke dwara hum rache hue, hum bhi purna hai
purna me se niklene par bhi purna hi shes rah jata hai.
om shanti shanti shanti....

example,jaise samundra se nikli hui ek bund bhi purna hai ,aur samundra bhi apne aap me purna hai,
samundra se ek purna bund nikalne par bhi samundra purna hi shes rah jata hai...
यहा भी पूर्ण़ है ,वह भी पूर्ण है
तुम भी पूर्ण हो, मै भी पूर्ण हू
इस सारी सृष्टी को बनाने वाला भी पूर्ण है
और सारी सृष्टि भी पूर्ण है
हम उसी सृष्टि के अश़्ं है  हम फिर भी पूर्ण ही है
जैसे पूर्ण मे से पूर्ण निकालने पर भी पूर्ण ही शेष रह जाता है
ओम शांति शांति शांति 
 



yog ratova bhog ratova meaning in hindi


नमस्कारम्
य़ोग रतोवाभोग रतोवा  
सगं रतोवा,सगं विहीनह् ।।
यस्य बा्म्हणीरमते चित्हः 
ननंदति ननंदति ननंदतेवा् ।।
     अर्थ-    चाहे आप य़ोग में हो या भोग में हो
                
               किसी के संग मे होय़ा किसी के संग के बिना हो
                
              वह प्राणी जो ब्रह्माड के रचयीता को ध्यान मे रखता है
              
              जो अपने आप को बंम्हाडड मे रमा लेता है 
           
                वह व्य़क्ति हमेंशा आनंद आनंद आनंदमय़ रहता है ।।


सतसंगत्वे , निसंगत्वम 
निसंगत्वे , निेरमोहत्वम ।।
निरमोहत्वे , निश्चलतत्वम ।
निश्चलतत्वे ,जिवनमुक्ति ।।
        अर्थ –
            
                       सत् के सगंत मे हो तो, बुराइयां आप का साथ छोड़ देगी।

               बुराई का साथ छुटेगा तो,मोह माय़ा से मुक्त हो जाओगे ।।

               मोह माया छुटने पर ,समभाव की भावना आती है ।

               समभाव की भावना से,जिवन  की मुक्ति होती है।।
              

पूनरपि जनंनम,पूनरपि मरणम् ।
पूनरपि जननि जठरे शयनम्।।
इह संसारे बहुदुस्तारे। (बहू दुखसारे)
कृपयापारे ताहि मुरारे।।
भज गोविंदम्  भज गोविंदम्   
गोविंदम भज मूढ मते् ।। 2
अर्थ-          
       फिर जन्म लेना ,फिर मरना।
      
 पूनः जन्म लेना है,माता के कोख मे सोना है ।।

       यह ससांर दूखो का सागर है, इस सागर को पार करने वाले कृपा के सागर मूरारी है।

       सचमूच कठीन है ,इस ससांर को पार करना, भगवान तुम्ही पार उतारो ।।

       तो हे तू प्राणी गोविदं भज,गोविदं भज, मूढ़ मति (मू्र्ख बूद्धि) वाले मनुष्य ।

       भज गोविदम्   भज गोविदम्   भज गोविदम्   भज गोविदम् ।।








kanak dhara stotram (dhan varsha stotram)

 अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् |  अङ्गीकृताखिल विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः || मुग्धा मुहु...